_ अंगार

_  अंगार


जीवा फार     सोसवेना गार 
नव अंगार         झेलते भार 
तुम्हा राखुनी  ठेवलीया  धार 
रात उरी   लागली चमकदार 


आला पांघरूण  जरीचा तार 
घायाळ ला  उजेडात  अंधार 
बानातुन सुटलेला  धनुर्धार 
स्थिरावरु  कसा  मखमलदार 


अंग   लुट लय उमलत नार  
कमल पाती कळी  रुजणार  
अमावस्ये  चांदणं  टिमटिमनार  
आयुष्य अमृताची फुलणार     



      _ राजेश मेकेवाड 

RAJESH Mekewad







 




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